वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल

वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ १२ अक्टूबर। विगत 3 वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया गया है। इन्हीं में एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम, जापानी एन्सेफेलाइटिस, दिमागी बुखार व अन्य वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं।
          वर्तमान प्रदेश सरकार के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 3 चरणों में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाए गए। एक माह तक चलने वाले इन संचारी रोग नियंत्रण अभियानों के साथ ही 15 दिनों तक दिमागी बुखार से  बचाव एवं जागरूकता के लिए दस्तक अभियान भी चलाया गया। घर-घर जाकर इन रोगों से बचाव की जानकारी, आवश्यक उपाय और चिकित्सा के बारे में जागरूक करके व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप आज 2020 में जे.ई., ए.ई.एस. और दिमागी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण स्पष्ट दिखाई दे रहा है। जहां इस रोग से ग्रसित रोगियों की मृत्यु में संख्या में बड़े स्तर पर कमी आई है वहीं वृहद ’जे.ई. विशेष टीकाकरण अभियानों’ के कारण इसके पुष्ट रोगियों की संख्या में भी संख्या में भी भारी कमी आ चुकी है।
          अगर हम आंकड़ों की बात करें तो पिछले वर्ष अगस्त माह की तुलना में ए.ई.एस रोगियों की संख्या में 44 प्रतिशत तथा इसके कारण मृतकों की संख्या में 71 प्रतिशत कमी पाई गई है। इसके साथ ही जे.ई. के रोगियों की संख्या में 51 प्रतिशत मलेरिया के रोगियों में 72 प्रतिशत डेंगू के रोगियों में 87 प्रतिशत तथा कालाजार के रोगियों में 40 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है।
            इस दिशा में सटीक योजना एवं प्रभावी क्रियान्वयन से जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए तथा अंतर्विभागीय समन्वय से साफ-सफाई और स्वच्छता अभियान चलाए गए। स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर प्रशिक्षण एवं संसाधन से युक्त करते हुए चिकित्सा इकाइयों को निरंतर सुदृढ़ बनाने का कार्य किया गया। इन प्रयासों के फलस्वरूप लगभग 4 दशकों से प्रदेश में जारी दिमागी बुखार को नियंत्रित करने में सरकार को अभूतपूर्व सफलता मिली है। वर्ष 2016 में 3911 ए.ई.एस. के संक्रमित मरीज मिले थे, जिनमें से 641 मरीजों की मृत्यु हो गई थी। रोगियों की मृत्यु दर वर्ष 2016 में 16.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2019 में रोगियों की संख्या घटकर 2185 हो गई तथा मृतकों की संख्या 126 रह गई। वर्ष 2019 में रोगियों की मृत्यु दर घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई। इसी क्रम में जापानी इंसेफेलाइटिस से ग्रसित रोगियों की संख्या वर्ष 2016 में 442 और मृतकों की संख्या 74 दर्ज हुई थी जबकि वर्ष 2019 में मरीजों की संख्या घटकर 235 तथा मृतकों की संख्या घटकर 21 रह गई।            
            इस वर्ष वर्तमान माह अक्टूबर में 1 से 31 तारीख तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष दस्तक अभियान में इस संक्रमण से बचाव की जानकारी भी शामिल की गई है। इस वर्ष जे.ई.,ए.ई.एस. तथा अन्य संक्रामक बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू, कालाजार का संक्रमण प्रतिशत वर्ष 2019 से भी कम है।  सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियानों के कारण आज जनता में ऐसे रोगों की प्रति बड़े स्तर पर जागरूकता का प्रसार हुआ है, जिसके कारण जे.ई.,ए.ई.एस. और दिमागी बुखार के रोगियों को शीघ्र चिकित्सा और बचाव संबंधी जानकारियां हासिल हैं। संक्रामक रोगों पर नियंत्रण के गोरखपुर मॉडल को अब न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिल रही है।- डाॅ0 सीमा गुप्ता