वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी) अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 4 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि किसान अपने धान को को बेचने के लिए मारा-मारा फिर रहा है और सरकार उनकी तरफ आँख बंद कर के बैठी है। तमाम दावों के बाबजूद प्रदेश में अभी भी धान क्रय केंद्र नहीं खुल पाए है, जो थोड़े बहुत खुले है वहां पर धान किसानो के साथ नमी के नाम पर भारी कटौती कर उनका शोषण करने के साथ बिचैलियों के हाथों औने पौने दामो पर बेचने पर मजबूर किया जा रहा है। इसके खिलाफ कांग्रेस सभी जनपदों में 22 अक्टूबर को जिला मुख्यालयों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य 1886 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा करने वाली भाजपा सरकार किसानो से 1100-1200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रही है, इसके लिए धान में नमी आदि अनेक कारणों से धान को गुणवत्ताहीन बता कर कटौती कर रही है। सरकार की इस किसान विरोधी नीति के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने 2017 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में गन्ना किसानों से 14 दिन में पूर्ण भुगतान करने का वादा किया था और ऐसा न होने पर बकाये पर ब्याज देने की भी घोषणा की थी किन्तु सरकार के साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी यह वादा अन्य वादों की तरह जुमला ही साबित हुआ। गन्ना किसानों का लगभग 14 हजार करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। सरकार अपने वादे के मुताबिक गन्ना किसानो को तत्काल बकाया भुगतान सुनिश्चित करवाए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विगत माह में किसानों के निजी नलकूपों के बिजली की कीमत में की गयी बढ़ोत्तरी का भी विरोध करते हुए बढ़ी हुई कीमतों को अविलम्ब वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि निजी नलकूपों की पांच, 7.5 और 10 हार्स पॉवर के कनेक्शन की श्रेणी को समाप्त कर सभी नलकूपों को साढ़े बारह हार्स पॉवर के कनेक्शन की कीमत की अनिवार्यता आर्थिक रूप से तंगहाल किसानों के ऊपर बड़ा आर्थिक हमला है। उन्होंने कहा कि किसानों की जोत निरंतर घटती जा रही है ऐसे मे सभी को साढ़े बारह हार्स पॉवर की अनिवार्यता के कारण किसानों को ढाई से तीन हजार रुपये मासिक नुकसान हो रहा है। कुछ किसानों को भूगर्भ जल स्तर की कमी के कारण यदि ज्यादा हार्स पॉवर के कनेक्शन की मजबूरी का सामना करना पड़ रहा है तो सरकार को उन्हें सब्सिडी देनी चाहिए। सरकार ने किसानों के बिजली की कीमत में 2017 और 2019 में भी बढ़ोत्तरी की थी। यह सरकार की किसान विरोधी नीतियों का सुबूत है कांग्रेस पार्टी किसानों के हित मे सडक से लेकर सदन तक संघर्ष के लिए दृढ संकल्पित है।
कांग्रेस 22 अक्टूबर को मुख्यालयों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेगी