फेक न्यूज़ : झूठी ख़बरों पर भरोसा करना गंभीर समस्या


                                                                         आलेख 
वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 30 सितम्बर। पिछले कुछ साल में फेक न्यूज को लेकर दुनियाभर में बवाल मचा है। खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार फेक न्यूज शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा भी नहीं है कि फेक न्यूज जैसा शब्द सिर्फ पश्चिमी जगत के मीडिया में ही हो। भारत में भी इसका इस्तेमाल खूब धड़ल्ले से होता है। दरअसल फेक न्यूज एक बड़ी समस्या है। जिसके तहत किसी की छवि को धूमिल करने या अफवाह फैलाने के लिए झूठी खबर पब्लिश की जाती है। ऐसी झूठी खबरों पर रोक लगाने की पहल दुनियाभर में चल रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। हम अक्सर किसी टिप्पणी या दलील को महज़ इसलिए स्वीकार कर लेते हैं, क्योंकि वे हमारी परंपरागत मान्यताओं के अनुरूप होती हैं. ऐसा करते वक़्त हम न तो
इनके पीछे के तर्कों की परवाह करते हैं, न दावों की प्रामाणिकता जांचने की ज़हमत उठाते हैं।


क्या है फेक न्यूज
      अगर आप मीडिया इंडस्ट्री से हैं या नजदीक से जुड़े हैं, तो आप जानते ही होंगे कि फेक न्यूज क्या है। यह एक तरह की पीत पत्रकारिता (येलो जर्नलिज्म) है। इसके तहत किसी के पक्ष में प्रचार करना व झूठी खबर फैलाने जैसे कृत्य आते हैं। किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने या लोगों को उसके खिलाफ झूठी खबर के जरिए भड़काने को कोशिश फेक
न्यूज है। सनसनीखेज और झूठी खबरों, बनावटी हेडलाइन के जरिए अपनी रीडरशिप और ऑनलाइन शेयरिंग बढ़ाकर क्लिक रेवेन्यू बढ़ाना भी फेक न्यूज की श्रेणी में आते हैं। फेक न्यूज किसी भी सटायर (व्यंग) या पैरोडी से अलग है। क्योंकि इनका मकसद अपने पाठकों का मनोरंजन करना होता है, जबकि फेक न्यूज का मकसद पाठक को बरगलाने का होता है।


फ़र्ज़ी खबरों का कारोबार क्यों बड़ा ?
     झूठी खबरों को फैलाने के पीछे कई कारण हो सकते है। कुछ कारण नीचे दिखाए गए है जो फेक न्यूज़ फैलाने के पीछे हो सकते है -
किसी व्यक्ति विशेष या संस्था की छवि या सम्मान को ठेस पहुंचाना।
 एक कंपनी द्वारा दूसरी कंपनी की छवि को धूमिल करना।
 राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपना हित साधने के लिए।
 झूठी खबर द्वारा लोगों को भड़काना।
 लोगों में सांप्रदायिक भेदभाव फैलाना।
 समाज में आक्रोश फैलाना।
 कॉन्ट्रोवर्सी के जरिए किसी चीज का प्रचार करना।
 नये विवादों को जन्म देना।
 झूठी खबरों का असली तथा सच्ची खबरों की तुलना में जल्दी वायरल होना।
 किसी की निजी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना।


फेक खबरों का माध्यम:- इन्टरनेट मीडिया
       पहले जब व्यक्ति न्यूज़ पढ़ने के लिये समाचार-पत्रों पर निर्भर था तो वह वैसी ख़बरों से रूबरू होता था जो कई माध्यमों से छनकर उस तक पहुँचती थी। लेकिन अब ‘रियल टाइम खबरों’ का दौर है जहाँ कोई भी फेक न्यूज़ लाखों लोगों द्वारा शेयर की जाती है, ट्विट और रि-ट्विट की जाती है।  कभी-कभी तो किसी का विचार, किसी का निजी प्रोपगेंडा भी सत्य मान लिया जाता है।
      इन्टरनेट मीडिया ने पब्लिक और पर्सनल के बीच के अंतर को खत्म-सा कर दिया है। आप अपने परिवार के साथ डिनर में क्या बात करते हैं, क्या विचार रखते हैं, तुरंत ही एक पोस्ट के माध्यम से पब्लिक हो जाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी अपना महत्त्व है, लेकिन इस स्वतंत्रता के नाम पर तथ्यों से छेड़छाड़ कहाँ तक जायज़ है? 
       ‘दावा किया गया कि जियो इन कठिन परिस्थितियों में सभी इंडियन यूजर्स को 498 रुपए का फ्री रिचार्ज दे रही है। एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें कई लाशें नजर आ रही हैं। दावा है कि, यह इटली की तस्वीर है, जहां कोरोनावायरस ने कई लोगों की जान ले ली। डॉक्टर रमेश गुप्ता की किताब 'आधुनिक जन्तु विज्ञान' का एक पेज वायरल किया गया है।
दावा है कि, कोरोनावायरस और इसकी दवा के बारे में इस किताब में पहले से ही जानकारी दी गई है। आये दिन इस प्रकार की खबरे इन्टरनेट मीडिया में आती रहती हैं और इन्टरनेट उपयोगकर्त्ताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इन्टरनेट पर लिखे किसी भी चीज को सत्य मान लेता है।
      विभाजनकारी तत्त्वों द्वारा अपनी वेबसाइट पर फेक न्यूज़ जारी किया जाना और फिर इन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करना इन्टरनेट मीडिया के सबसे बड़े खतरों में से एक है। गौरतलब है कि आईएस जैसे आतंकी संगठनो ने सोशल मीडिया को अपने रिक्रूटमेंट का मुख्य माध्यम बना रखा है और इन्टरनेट मीडिया इस काम में उनकी मदद कर रहा है।


फेक न्यूज को कैसे पहचानें - 
      अगर आप किसी ऐसी न्यूज़ को आपकी सोशल प्रोफाइल पर शेयर करते है जो फेक (fake) यानि रियल नहीं है तो यह आपकी इमेज को नुकसान पहुंचाती है। अतः आपको किसी भी खबर या न्यूज़ को प्रचारित या शेयर करने से पहले उसका
प्रमाणीकरण कर लेना चाहिए कि वो रियल है या नहीं।
      आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स के बारे में जो आपको यह जानने में मदद करेंगे कि कोई खबर ,न्यूज़, वीडियो या इमेज वास्तविक है या झूठा…।


1. फेक टेक्स्ट मैसेज को पहचानना
अगर आपके व्हाट्सएप पर कोई ऐसा टेक्स्ट मैसेज आता है जिसमें उस मैसेज या खबर के स्रोत का कोई लिंक नहीं दिया गया है तथा साथ ही उस मैसेज में किसी व्यक्ति या कंपनी की बहुत अधिक बेइज्जती/अपमान/निंदा या बहुत अधिक प्रशंसा की गई है तो इस बात की ज्यादा सम्भावना है कि वो मैसेज फेक (fake) है।
     इस बात की सत्यता जानने के लिए आप गूगल या प्रतिष्ठित न्यूज़ साइट्स (Example :- Trust News ) का सहारा ले सकते है। गूगल से इस बारे में जानने के लिए आपके पास जो टेक्स्ट मैसेज आया है उसके मुख्य कीवर्ड को गूगल में सर्च करें, आपको उसकी सत्यता पता चल जाएगी।
2. फेक न्यूज़ आर्टिकल्स को कैसे पहचानें
      फेक न्यूज आर्टिकल की वास्तविकता के बारे में जानने के लिए सबसे पहले ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां पर आप उस आर्टिकल को पढ़ रहे है, उस साइट का नाम क्या है? अगर वो साइट किसी न्यूज़ पेपर या न्यूज़ चैनल की है तो इस बात की लगभग पूरी गारंटी (99%) है कि वह खबर या आर्टिकल सही है।
      अगर वह आर्टिकल किसी मुख्य न्यूज़ पेपर या न्यूज़ चैनल की वेबसाइट पर नहीं है तो सबसे पहले आप उस साइट का नाम देखिए कि कहीं वो न्यूज़ साइट्स की स्पूफ वेबसाइट्स तो नहीं है। इसके बाद उस न्यूज़ आर्टिकल के प्रमाणीकरण के लिए आप गूगल लिया किसी मेंस्ट्रीम न्यूज साइट्स का सहारा ले सकते है। हालांकि हर आर्टिकल के प्रमाणीकरण के लिए ऐसा करना संभव नहीं है।
3. फेक यूट्यूब वीडियो कैसे पहचानें
      यूट्यूब वीडियो पर भी फेक विडियोज बनाकर फेक न्यूज फैलायी जाती है। विडियो का कटेंट फेक है या सही, इसके बारे में जानने के लिए आप ऊपर बताये गये तरीकों से जानें या मेनस्ट्रीम न्यूज़ चैनल्स पर विजिट कर उस खबर के प्रमाणीकरण के बारे में जानें।
      अगर आपको कोई ऐसा आर्टिकल या चीज पढ़ रहे है जहां पर उसके बारे में कोई सोर्स नहीं दिया गया है , लेखक के बारे में जानकारी नहीं दी गई है तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि वह फेक न्यूज़ हो। इनसे बचें।


फेक न्यूज़ से कैसे बचें
      फेक न्यूज़ को शेयर करना तथा इसके बारे में प्रचार करना आपकी छवि को नुकसान पहुंचाता है और साथ ही लोगों को भड़काता है, उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ होता है तो आपको हमेशा इस प्रकार की न्यूज़ को शेयर करने से बचना चाहिए।
      आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जो आपको ऐसी झूठी खबरों के प्रचार से बचाएंगे…
अगर आपकी किसी व्यक्ति विशेष, राजनीतिक पार्टी या अन्य किसी से नहीं बनती
है और आप उसके बारे में कुछ ऐसा पढ़े जो उसके विपरीत हो तो बिना सच जानें उसे
शेयर ना करें।
 अगर किसी न्यूज़, वीडियो या आर्टिकल के फेक होने का डाउट हो तो उसकी गूगल
पर पड़ताल करें।
 किसी भी नई घटना, हार-जीत को लेकर अपने उत्साह को नियंत्रित रखें। - रेशु हिमांशु वर्मा