वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 26 सितम्बर। केंद्र सरकार अब श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम के दायरे में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया पत्रकारों को भी शामिल करना चाहता है। इन पत्रकारों को अधिनियम के दायरे में लाने के लिए इसमें संशोधन भी किया जा सकता है। सरकार ने इसके लिए जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसकी जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने दी।
मंत्री दत्तात्रेय ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो एनडीए सरकार श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन करेगी ताकि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया को भी इसके दायरे में लाया जा सके। उन्होंने कहा, ‘हम श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम के तहत डिजिटल मीडिया समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक चैनलों को लाने के लिए कदम उठा रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम अधिनियम में संशोधन करेंगे।’
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस प्रस्ताव को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया गया है जिससे इस पर टिप्पणी मिल सके।
पीसीआई सदस्य अशोक नवरत्न ने कहा कि दरअसल, लंबे समय से मीडिया के इन क्षेत्रों को भी श्रमजीवी पत्रकार कानून, 1955 के तहत लाने की मांग की जाती रही है, क्योंकि अभी तक यह कानून सिर्फ प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में ही लागू है। श्रमजीवी पत्रकार कानून-1955 के अनुसार, श्रमजीवी पत्रकार वह हैं जिसका मुख्य व्यवसाय पत्रकारिता हो और वह किसी समाचारपत्र में या उसके सम्बन्ध में पत्रकार की हैसियत से नौकरी करता हो। इसके तहत एडिटर, कंटेंट राइटर, न्यूज एडिटर, सब-एडिटर, फीचर लेखक, कॉपी एडिटर, रिपोर्टर, कॉरेसपोंडेंट, कार्टूनिस्ट, संचार फोटोग्राफर और प्रूफरीडर आते हैं। अदालतों के फैसलों के मुताबिक, पत्रों में काम करनेवाले उर्दू-फारसी के लेखक, रेखा-चित्रकार और संदर्भ-सहायक भी श्रमजीवी पत्रकार हैं। कई पत्रों के लिए और अंशकालिक कार्य करने वाला पत्रकार भी श्रमजीवी पत्रकार हैं। यदि उनकी आजीविका का मुख्य साधन अर्थात उसका मुख्य व्यवसाय पत्रकारिता हो। इस कानून से पहले पत्रकारों के काम के घंटे, शर्तों, भत्ते और मुआवजे का कोई निर्धारण नहीं था।
डिजिटल मीडिया (वेब पोर्टल) के पत्रकारों के लिए मोदी सरकार ने उठाया ये कदम - मंत्री बंडारू दत्तात्रेय