रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए किसान और आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुटी कांग्रेस सरकार सवर्ण आंदोलन के भंवर में फंस रही है। केंद्र सरकार के 10 फीसद सवर्ण आरक्षण पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है। वहीं, भाजपा इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गई है। इस कारण भाजपा के विधायकों ने इस मुद्दे को विधानसभा के बजट सत्र में भी उठाया था। सवर्ण आरक्षण का मुद्दा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के पहले से गरमाया हुआ है। उस वक्त कांग्रेस ने पर्दे के पीछे रहकर सवर्ण आंदोलन को समर्थन दिया था। इस कारण छत्तीसगढ़ में चल रहे सवर्ण आंदोलन का एक धड़ा कांग्रेस में प्रवेश भी कर गया था। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का बसपा के साथ गठबंधन नहीं करने का एक कारण सवर्ण आंदोलन भी था। कांग्रेस अगर बसपा के साथ गठबंधन कर लेती, तो आरक्षण की आग में सुलग रहे सवर्ण कांग्रेस से नाराज हो सकते थे। अब प्रदेश के सवर्णों को कांग्रेस का रवैया समझ नहीं आ रहा। केंद्र सरकार ने तो 10 फीसद सवर्ण आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी है, लेकिन अब राज्य की कांग्रेस सरकार सवर्णों के आरक्षण पर कोई कदम नहीं उठा रही है। जब भाजपा ने विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार पर इस मुद्दे पर सवाल पूछा, तो सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई। कांग्रेस सरकार और पार्टी के भीतर सवर्ण आरक्षण को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा ने सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। इसका कारण यह है कि प्रदेश में सवर्णों की आबादी 25 लाख के आसपास है, जिसमें से लगभग 13 लाख मतदाता हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में सवर्ण आरक्षण के भंवर में फंस रही कांग्रेस सरकार