नई दिल्ली। इनेलो के दो विधायकों के इस्तीफों के बाद हरियाणा के राजनीतिक दल सचेत हो गए हैं। गैर भाजपाई राजनीतिक दलों का मानना है कि जिस तरह भाजपा ने इनेलो विधायक रणबीर गंगवा और केहर सिंह रावत का विधायक पद से इस्तीफा दिलवाया है, उससे साफ है कि सत्तारूढ़ दल लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव कराएगा। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि भाजपा के रणनीतिकार विपक्ष को संभलने का मौका नहीं देना चाहेंगे। यदि लोकसभा चुनाव भी पहले या दूसरे चरण में 11 अप्रैल तक हो जाते तो कांग्रेस को समन्वय समिति के रूप मे एकजुट होने का भी मौका नहीं मिलता। यह चुनाव छठे चरण में होने से कांग्रेस को एकजुट होने का मौका मिल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा के रणनीतिकारों ने लोकसभा के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी कर ली है। गैर भाजपाई दल खासतौर पर कांग्रेस, इनेलो, जननायक जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान ही विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। इसके पीछे कारण यही है कि ये दल भाजपा को उसकी रणनीति में कामयाब नहीं होने देना चाहते। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की राज्य इकाई लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराना चाहती थी। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसके लिए दिल्ली में दो दिन तक हाईकमान के समक्ष लॉबिंग की थी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने यहां तक दावा किया था कि यदि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा के चुनाव होते हैं तो राज्य की 90 सीटों में से 85 सीट भाजपा की झोली में आएंगी। बावजूद इसके भाजपा आलाकमान ने राज्य इकाई यह बात नहीं मानी। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय हाईकमान को यह डर था कि कहीं राज्य सरकार के खिलाफ स्थानीय मुद्दों के चलते लोकसभा की किसी सीट पर समस्या न आ जाए।
हरियाणा में विधायकों के भाजपा में शामिल होने से सचेत हुआ विपक्ष, अब चल रही यह चर्चा