स्टडी: 1 से 5 साल के 87% बच्चे घुसे रहते हैं मोबाइल में, होगा बड़ा नुकसान
मोबाइल और बच्चे

हमारी सोसायटी में बच्चों को कम उम्र से ही मोबाइल और टीवी और डिजीटल मीडिया पर वक्त बिताने की आदत लग रही है, जो ना तो उनकी मानसिक सेहत के लिए ठीक है और ना ही शारीरिक सेहत के लिए। बच्चों द्वारा डिजीटल मीडिया पर बिताए जा रहे वक्त को लेकर हाल ही हुए एक शोध में पाया गया कि बच्चों को अपनी उम्र के हिसाब से जितना वक्त इस प्लेटफॉर्म पर बिताना चाहिए 87 प्रतिशत बच्चे उससे निर्धारित समय से कहीं अधिक वक्त डिजीटल मीडिया पर बिता रहे हैं।

हालही JAMA Pediatrics में पब्लिश हुई एक ताजा स्टडी में बताया गया है कि मात्र 12 महीने यानी एक साल का बच्चा भी हर दिन कम से कम 53 मिनट मोबाइल या टीवी की स्क्रीन देखने में बिताता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ और 3 साल की उम्र में पहुंचने तक बच्चे की यह टाइमिंग 53 मिनट पर डे से बढ़कर 150 मिनट प्रतिदिन हो जाती है। जबकि इस साल WHO द्वारा अप्रैल में जारी गाइडलाइन्स के अनुसार, एक साल से कम उम्र के बच्चों को दिनभर में बिल्कुल भी टीवी या मोबाइल स्क्रीन पर वक्त नहीं बिताना चाहिए। साथ ही 5 साल से कम उम्र के बच्चे एक दिन में 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर वक्त बिताएंगे तो उनकी सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है।


वहीं, इस दिशा में अमेरिकन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा जारी गाइड लाइन्स में 18 महीने से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन पर बिल्कुल टाइम नहीं बिताना चाहिए। इस उम्र के बाद यानी 18 से 24 महीने के बच्चे थोड़ा वक्त स्क्रीन देखने में बिता सकते हैं। केवल 2 से 5 साल के बच्चे ही दिन में 1 घंटा टीवी या मोबाइल की स्क्रीन देख सकते हैं।


लेकिन शोध में आए रिजल्ट के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि 87 प्रतिशत बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से तयह समय सीमा से कहीं अधिक वक्त मोबाइल और टीबी की स्क्रीन पर बिता रहे हैं। डिजीटल मीडिया पर बिताया जानेवाला यह वक्त बच्चों में टुडलर्स टाइमिंग से शुरू होता है और 7 से 8 साल की उम्र तक बढ़कर 90 मिनट यानी करीब डेढ़ घंटा प्रतिदिन हो जाता है। रिसर्चर्स ने शोध में यह भी पाया कि इस उम्र के बच्चे डिजीटल मीडिया पर ज्यादातर वक्त अपनी एजुकेशन से जुड़ी चीजों और स्कूल ऐक्टिविटीज के लिए बिताते हैं।