माब लिन्चिग एक भयानक बीमारी के रूप में देशभर में उभर रही है - मायावती 

लखनऊ। भीड़ हिंसा (माब लिन्चिग) एक भयानक बीमारी के रूप में देशभर में उभरने व उसमें जान-माल की दर्दनाक हानि आदि पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि यह रोग बीजेपी सरकारों की क़ानून द्वारा क़ानून का राज स्थापित नहीं करने की नीयत व नीति की देन है जिससे अब केवल दलित, आदिवासी व धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग व पुलिस भी शिकार बन रही हैं। वैसे तो माब लिंचिग की घटना में पहले भी इक्का-दुक्का हुआ करती थी, लेकिन अब यह घटनायें काफी आम हो गई हैं और इस प्रकार देश में लोकतन्त्र के हिंसक भीड़तन्त्र में बदल जाने पर देश में हर तरफ सभ्य समाज में चिन्ता की लहर है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेकर केन्द्र व राज्य सरकारों को निर्देंश जारी किये हैं, लेकिन इस मामले में भी केन्द्र व राज्य सरकारें कतई भी गम्भीर नहीं है, यह  बड़े दुःख की बात है। ऐसे में उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग की यह पहल काफी स्वागत योग्य है कि भीड़ हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अलग से नया सख्त कानून बनाया जाय, जिसके मसौदे के रूप में ''आयोग ने राज्य सरकार को सौंप कर दोषियों को उम्र कैद की सजा तय किये जाने की सिफारिश की है। हालांकि वर्तमान में जो कानून हैं उसके प्रभावी इस्तेमाल से ही हिंसक भीड़तन्त्र व भीड़हत्या आदि को रोकने के हर उपाय किये जा सकते हैं, परन्तु जिस प्रकार से यह रोग लगातार फैल रहा है उस सन्दर्भ में अलग से भीड़तन्त्र-विरोधी कानून बनाने की जरूरत हर तरफ महसूस हो रही है और सरकार को सक्रिय हो जाना चाहिए था।
वैसे तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद तो केन्द्र सरकार को अवश्य ही गम्भीर होकर इस सम्बन्ध में एक अलग से देशव्यापी कानून अब तक जरूर बना लेना चाहिये था, लेकिन लोकपाल आदि की तरह माब लिंचिग जैसे जघन्य अपराध के मामले में भी केन्द्र सरकार उदासीन है तथा इसकी रोकथाम के मामले में कमजोर इच्छाशक्तिवाली सरकार साबित हो रही है। इसका एक कारण शायद यह भी हो सकता है कि माब लिंचिग-विरोधी सख्त कानून बनाकर बीजेपी अपना सरदर्द क्यों बढाये तथा अपना ही नुकसान क्यों करं?े वैसे भी अगर उनकी नीयत साफ होती तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के
निर्देंश के बाद अब तक एक नया कानून देश में लागू हो गया होता।
मायावती ने कहा कि उन्मादी व भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं से सामाजिक तनाव काफी बढ़ गया है। हिंसक भीड़ जानती है कि जाति व धर्म के नाम पर वह कानून से खिड़वाड़ कर सकती है। वे मानते हैं कि बीजेपी सरकार उनको संरक्षण देगी। ऐसी मनोवृत्ति के कारण ही भीड़ हिंसा की घटनायें रूकने का नाम नहीं ले रही हंै। प्रदेश के उन्नाव की हालिया घटना भी यह साबित करती है कि सामाजिक जीवन कितना तनावग्रस्त हो गया है और हर किसी को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहा है, यह अति-दुःखद है। इन सबसे प्रभावी तौर पर निपटने के लिए सख्त क़ानून बनाने के साथ-साथ कानूनों को सख्ती से हर स्तर पर लागू कराने की इच्छाशक्ति भी खासकर बीजेपी को, बी.एस.पी. सरकार की तरह ही, विकसित करनी होगी तभी इस रोग की रोकथाम हो पायेगी।