6 महीने में बच्चियों से दुष्कर्म की 24 हजार घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित


यूपी में ऐसे मामले सबसे ज्यादा


पिछले छह महीने में देश में बच्चियों के होने वाले दुष्कर्म की करीब 24 हजार घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है। इस तरह की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद चिंता जताई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसमें दखल देने का निर्णय लिया है।  पीठ ने इसे जनहित याचिका में तब्दील करते हुए अदालत की मदद के लिए वरिष्ठ वकील वी गिरी को अमाइकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे कि क्या ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जा सकती है। क्या ऐसे मामलों के लिए विशेष अदालत का गठन किया जा सकता है। अमाइकस क्यूरी को इन मुद्दों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। वास्तव में इस तरह की घटनाओं से आहत चीफ जस्टिस ने गत एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने के लिए कहा था कि इस वर्ष एक जनवरी से लेकर 30 जून के बीच बच्चियों के साथ दुष्कर्म के कितने मुकदमे दर्ज किए गए। साथ ही रजिस्ट्री को यह आंकड़ा भी जुटाने के लिए कहा गया था कि इन मामलों में जांच किस चरण पर है। चार्जशीट दाखिल करने में कितना वक्त लगा और ऐसे कितने मामले अदालतों में अभी तक लंबित हैं। विभिन्न हाईकोर्ट के आंकड़े जुटाने के बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा रिपोर्ट में चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। चीफ जस्टिस ने इसे खतरनाक ट्रेड बताया है। रजिस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून के बीच देश भर में पुलिस ने बच्चियों से दुष्कर्म के 24212 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें से 11981 मामलों में छानबीन जारी है। जबकि 12231 मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है। महज 6449 मामलों का ट्रायल शुरू हो सका है। अब तक ट्रायल कोर्ट ने महज 911 मामलों का निपटारा किया है। यानी महज चार फीसदी मामलों का निपटारा हुआ है। बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। इस दौरान यूपी में 3457 एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें से 1779 मामलों में अब तक छानबीन जारी है। वहीं मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। वहां इस तरह के 2389 मुकदमे दर्ज किए गए। वहां पुलिस 1841 मामलों में चार्जशीट दायर कर चुकी है जबकि 247 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है। इस अवधि के दौरान राजस्थान में 1285, कर्नाटक में 1133, गुजरात में 1124, तमिलनाडु में 1043, केरल में 1012, ओडिशा में 1005 मुकदमे दर्ज किए गए।