लखनऊ
सरकारी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अराजकता के माहौल पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकारी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अराजकता का माहौल खत्म करने और पढ़ाई का माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार को छह माह में कानून बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय(एलयू) के कुलपति की अध्यक्षता में राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कुलसचिवों की ओर से आए सुझावों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाने को कहा है। यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने स्वत: संज्ञान पीआईएल पर पारित किया है। दरअसल, एलयू में 4 जुलाई, 2018 को हुई अराजकता पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने विवि परिसरों में अराजकता के मुद्दे पर सुनवाई शुरू की थी। गुरुवार को कोर्ट ने अपने आदेश में शैक्षिक संस्थानों में गुंडागर्दी के माहौल पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2018-19 में 3500 करोड़ का बजट दिया गया, इसके बावजूद संस्थानों का माहौल सही नहीं बन सका। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त छात्र परिसरों में बवाल करते हैं। कोर्ट ने छात्र संघ चुनावों व अन्य गतिविधियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में नियंत्रित करने की भी आवश्यकता पर जोर दिया। कुलपतियों और कुलसचिवों की ओर से आए सुझाव में प्रमुख रूप से परिसरों को अकादमिक शांति क्षेत्र घोषित करने, परिसर के भीतर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाने को कहा गया है।
यूपी के विश्वविद्यालयों में अराजकता खत्म करने को छह माह में कानून बनाएं: हाई कोर्ट