फिल्म व टीवी से अलग होती है वेब सीरीज- वेब सीरीज की दुनिया फिल्मों और टीवी सीरियल से इतर होती है. वेब की दुनिया में यह ऐसा मनोरंजक कंटेट होता है, जो किसी फॉर्मेट में बंधा नहीं होता. एक वेब सीरीज में आठ या दस एपिसोड होते हैं. यह सीरीज अलग-अलग कहानी पर आधारित होती है. एक एपिसोड की अवधि 25 से 45 मिनट तक की होती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इन्हें कई बार एक साथ तो कई बार हर हफ्ते में एक एपिसोड की तरह लांच किया जाता है.
इसलिए दीवाने हो रहे युवा-इंटरनेट में लंबा समय बिताने वाले युवाओं की माने तो वेब सीरीज के दीवाने होने के पीछे की कई वजह होती हैं. वेब सीरीज में समय की कोई पाबंदी नहीं होती है. इसकी कहानियां छोटी-छोटी होती हैं और हाथ में गुणवत्तापूर्ण स्मार्टफोन आ जाने की वजह से इसे कहीं से भी देखा जा सकता है. सबसे अच्छी बात तो यह है कि फोन में इसे घर बैठे, बाहर, अपने दोस्तों को इंतजार करते हुए देख सकते हैं. अब तक विभिन्न प्लेटफॉर्म पर जिस तरह की कहानियों के साथ वेब सीरीज आ रही है, उसमें सेंसरशिप नहीं होती. अनसेंसर्ड वीडियो होने की वजह से युवा इसके दीवाने बनते जा रहे हैं. इसकी कहानियां लीक से हट कर और पूरी तरह से फ्रेश होती हैं.
इंटरनेट एडिक्शन के चलते युवा हो रहे प्रॉब्लेमेटिक इंटरनेट यूज्ड(पीआइयू) के शिकार हो रहे हैं. इससे पीड़ित लोग अवास्तविक दुनियां में जीते हैं. एक घर में रहने के बावजूद इस समस्या से जूझ रहे लोग अापस में बातचीत नहीं करते हैं. बिहेवियर एडिक्शन भी इसमें शामिल है. यह एडिक्शन एक नशे की तरह है. जब तक इसके शिकार पूरी सीरीज नहीं देख लेते, उनका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, कई वेब सीरीज लगातार चलती हैं. इससे इन्हें देखने वाला अपने सभी काम छोड़कर उसी में लग जाता है. वहीं, वेब एडिक्शन से पीड़ित ऑफिस में भी उन्हीं कार्यक्रमों के बारे में सोचता रहता है. इससे उनका काम प्रभावित होता है. कई युवा ऐसे भी हैं जो छुट्टी के दिन ज्यादातर समय वेब सीरीज देखने में बिताते हैं. दिन में या फिर रात में देर तक अकेले बैठकर अपने मोबाइल या लैपटॉप पर फिल्म या सीरियल देखना, सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी स्थिति अपडेट करना और किसी के साथ चैट करने में लगातार व्यस्त रहना आदि. विशेषज्ञों के मुताबिक यही वेब एडिक्शन है.