क्या भारतीय जनता पार्टी के खेवनहार  निरहुआ जैसे कलाकार बनेंगे ?
निरहुआ : भोजपुरी सभ्यता में अश्लीलता फैलाने वाला एक नाम

वेब वार्ता/अजय कुमार वर्मा

लखनऊ। माफ़ करें मैं अश्लील तस्वीरों को लगाने के लिए विवश हूँ, क्योंकि  कला के माध्यम से  समाज में अश्लीलता का संदेश देने वाले और अब राजनीति के माध्यम से समाज सेवा की  भावना लेकर आने वाले और वह भी खासतौर से एक सम्मानित एवं प्रतिष्ठित पार्टी के मंच के माध्यम से किस भावना का प्रदर्शन होगा यह भविष्य के परिपेक्ष्य में है। जैसा कि आप सभी जानते हैं अभी कुछ दिन पूर्व भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भोजपुरी कलाकार दिनेश यादव उर्फ निरहुआ ने ग्रहण की है और उनको आजमगढ़ संसदीय सीट से देश के सर्वोच्च सदन में दिल्ली भेजने की तैयारी की जा रही है। 

क्यों की आपको बताना भी तो है 

पर अफ़सोस अधिक नही है क्यों की ये तस्वीर आम है और निरहुआ सर्च करने पर मिल जा रही है। 

ख़ैर एक बार दुबारा माफ़ी के साथ सीधा मुद्दे पर आता हूँ  जब समाज को किसी व्यक्ति को विकास के लिए चुनाव करना होता है तो उसके बारे में पता करता है, आख़िर जिसे हम चुनने जा रहे हैं वो है कौन और उसका इतिहास क्या है? इनकी पहचान भोजपुरी समाज में अश्लीलता फैलाने वाले कथित अभिनेता की है यह सभी जानते हैं। अब ये जनता के बीच और सदन में कौन से संस्कार की बात करेंगे  ? कौन से विकास की बात करेंगे क्या समाज को देंगे,  ये बड़ा सवाल है। युवाओं को मनोरंजन के नाम पर भोजपुरी के नाम पर सिर्फ़ अश्लीलता को छोड़ कुछ नही दिखाया। हाँ दूसरा सवाल भाजपा एक संस्कारों वाली पार्टी है जैसा दावा किया जाता तो इनमें आख़िर ऐसे कौन से संस्कार देखे की जनता के बीच भेजने का फ़ैसला ले लिया? 

अब तीसरा सवाल जनता से आख़िर इनको वोट क्यों देंगे? 

चौथा दिमाग़ में टहलाएँ ये अगर संसद पहुँच गये तो वहाँ भी डांस डायलाग के अतिरिक्त क्या करेंगे? ख़ैर बाक़ी वक़्त पर छोड़ते है।

जहां एक तरफ जनता में भगवान की छवि लेकर राजनीति करने वाले एनटी रामाराव, रजनीकांत, जया बच्चन, अमिताभ बच्चन, एम जी आर, हेमा मालिनी जैसे कलाकारों ने सदन की गरिमा को बढ़ाया है और जिनके बैठने से सदन भी गौरवान्वित होता है। क्योंकि जनमानस में ऐसे कलाकारों की छवि प्रभावशाली रही है लेकिन 2019 के चुनाव में जहां दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ जैसे कलाकार जिनके बारे में यह सर्वथा प्रदर्शित है कि किस प्रकार से उन्होंने भोजपुरी भाषा और भोजपुरी सभ्यता का में अश्लीलता का प्रचार जनमानस में  किया है जिसको देखकर भोजपुरी के पूर्व कलाकार राकेश पांडे सुजीत कुमार जैसे कलाकारों को भी शर्मिंदा होना पड़ता होगा और जब यही निरहुआ जैसे कलाकार भारतीय जनता पार्टी के बैनर पर अपनी छवि को लेकर उतरेंगे तो क्या उनकी छवि से भाजपा की क्या पहचान बनेगी ? युवा जनमानस क्या सोचेगा कि भाजपा का स्तर कितना गिर रहा है या गिर चुका है ? क्या भाजपा को अपनी पहचान स्थापित रखने के लिए को अब निरहुआ जैसे कलाकारों का सहारा लेना पड़ेगा ?