BSP का दायरा बढ़ा, जेडीएस महासचिव दानिश अली बसपा में शामिल

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण भारत तक अपनी दावेदारी करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने आज कर्नाटक की सत्ता पर काबिज जनता दल (सेक्युलर) को तगड़ा झटका दिया है। बसपा का कांग्रेस के खिलाफ बड़ा अभियान जारी है। कर्नाटक में कांग्रेस के सहयोग से सरकार चला रही जेडीएस के महासचिव दानिश अली ने आज लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। जेडीएस महासचिव दानिश अली को आज सतीशचंद्र मिश्र ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता दिलाई है। जद (एस) के महासचिव दानिश अली के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल होने के बाद से अब पार्टी कर्नाटक में भी ताल ठोंकने की तैयारी में है। कर्नाटक में जद(एस) तथा कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन हुआ है। दानिश अली हाल ही में कांग्रेस और जद (एस) के साथ गठबंधन वार्ता में शामिल थे। इस दौरान जेडीएस के महासचिव एवं प्रवक्ता दानिश अली ने दावा भी किया था कि कर्नाटक की गठबंधन सरकार पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा करेगी। अली ने इस बात पर जोर दिया कि गठबंधन साझेदारों के बीच कोई दरार नहीं है और सरकार सुचारू तरीके से चल रही है। आज उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया है। सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती दानिश अली को यूपी के अमरोहा से बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार सकती हैं। दानिश अली ने कर्नाटक में कांग्रेस तथा जेडी(एस) का गठबंधन निभाने में अहम भूमिका अदा की थी। दानिश अली ने कहा कि जब मैं जेडीएस में था तब भी कभी कुछ नहीं मांगा। यह तय करना एचडी देवगौड़ा जी के पास था मुझे क्या काम सौंपेंगे। मैं देवेगौड़ा जी का आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि बहन मायावती जी अब मुझे जो काम देंगी वह काम करूंगा। दानिश अली ने कहा कि जेडीएस के पास यूपी में एक बड़ा संगठन नहीं है। अपने सभी प्रयासों के बावजूद मैं इसे अपनी जन्मभूमि, अपनी कर्मभूमि में नहीं उठा सका....। जिस तरह से आज संविधान पर खतरा है, उसमें एक मजबूत नेतृत्व के साथ अपनी ऊर्जा का उपयोग करने आवश्यकता है। दानिश अली के आने से बसपा को एक जाना-पहचाना मुस्लिम चेहरा मिल गया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी छोड़ने के बाद से बसपा के पास कोई कद्दावर मुस्लिम चेहरा नहीं था। दानिश अली जेडीएस के लिए हिंदी क्षेत्र में प्रतिनिधि चेहरे के तौर पर जाने जाते रहे हैं। मीडिया में जेडीएस का पक्ष रखने वाले दानिश अली जेडीएस के लिए दिल्ली में संपर्क की कड़ी के रूप में काम करते रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में सपा से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने वाली बसपा तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में जनसेना पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। कई और राज्यों में भी बसपा उन राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी जो भाजपा और कांग्रेस से अलग हैैं। आंध्र प्रदेश में मायावती की पार्टी ने जनसेना पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जनसेना पार्टी के प्रमुख और साउथ के सुपर स्टार पवन कल्याण ने इस गठबंधन का ऐलान करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश के तेलंगाना में बसपा और जनसेना पार्टी मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो चुका है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। बसपा और जनसेना पार्टी के गठबंधन से दक्षिण भारत में सियासी हलचल तेज हो गई है। गठबंधन का ऐलान करते हुए अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण ने कहा कि हम चाहते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती देश की प्रधानमंत्री बनें। बसपा ने देश के ज्यादातर उन राज्यों में गठबंधन किया है, जहां पहले से पार्टी का वजूद रहा है। इस राज्यों में यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में मिलकर चुनाव लडऩे के लिए तेलगू फिल्म अभिनेता और जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया है। आंध्र प्रदेश की राजनीति में तेजी से दखल बढ़ाने वाले पवन ने शुक्रवार को बसपा अध्यक्ष से मुलाकात की। पवन ने जहां बसपा अध्यक्ष मायावती को प्रधानमंत्री बनते देखने की चाहत जताई है, वहीं मायावती ने पवन के आंध्र प्रदेश से मुख्यमंत्री बनने की कामना की। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनाव में पवन ने भाजपा के समर्थन में कई सभाएं की थीं। इस बार वह अपनी पार्टी लेकर मैदान में हैं।