बरसाना में लठमार होली कल, सखियों ने ग्वालों को दिया निमंत्रण

नंदबाबा की नगरी में गुरुवार को बरसाना से लाडलीजी की दर्जनभर सहचरी ढोल-नगाड़ों के साथ लठामार होली का निमंत्रण देने पहुंची तो पूरा गांव प्रफुल्लित हो उठा। लाडलीजी की सखियों ने फाग के निमंत्रण रूपी गुलाल व लाडली जू की भेंट कन्हैया के श्रीचरणों में अर्पित कर कन्हैया से कल (शुक्रवार) को अपने समस्त सखाओं के साथ बरसाना में लठामार होली खेलने के लिए पधारने का आग्रह किया। बता दें कि बरसाने की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली में नंदगांव के ग्वालों द्वारा बरसाने की सखियों के साथ होली खेलने की कृष्णकालीन परंपरा है।परंपरा के अनुसार एक दिन पहले गुरुवार को राधारानी के गांव बरसाना से लाडिलीजी की दर्जनभर सखियां सुबह 11 बजे ढोल-नगाड़ों संग नंदभवन पहुंचीं। यहां पहले से पलक पांवड़े बिछाए ग्वालों ने सखियों का चुनरी ओढ़ाकर स्वागत किया। इसके बाद गोस्वामीजनों का समूह सखियों को कन्हैया के निज महल की ओर ले गया। मंदिर के अंदर पहुंचकर सखियों ने फाग का निमंत्रण रूपी गुलाल एवं लाडली जी की भेंट कन्हैया के श्री चरणों में अर्पित करने के लिए सेवायतों को सौंपी। इसके बाद सखियों ने कन्हैया से कहा कि कल (शुक्रवार) को आप अपने सखाओं को लेकर लठामार होली के लिए बरसाना आमंत्रित हैं। यह निमंत्रण सुन गोप और ग्वाले खुशी से झूम उठे। उन्होंने एक-दूसरे को बधाई दी। उधर, सेवायतों ने लाडलीजी की भेजी गुलाल की हांडी कन्हैया के श्रीचरणों में रखी और सखियों का आग्रह सबको सुनाया। इसके बाद सेवायतों ने सखियों का प्रतिनिधित्व कर रही राधा सखी को कन्हैया का प्रसादी रूपी लड्डू व इत्र आदि भेंट किया। ग्वाल-बाल बरजोरी करते हुए सखियों को जगमोहन तक लाए। यहां पहले से सजे-धजे तैयार बैठे गोप व ग्वालों ने होली के रसियाओं पर जमकर नचाया। सखियां भी कहां हारने वाली थीं, चार-चार ग्वालों पर एक-एक सखी नृत्य में भारी पड़ रही थी। एक ओर जहां ग्वाल और गोपों का निमंत्रण पाकर उत्साह दुगना था, वहीं सखियां भी रसिया की इस होली में हार कर लाडलीजी धाम लौटना नहीं चाहती थीं। रसिया और नृत्य में एक-दूसरे को पराजित करने की होड़ में करीब साढ़े तीन घंटे तक यह धूम मचती रही। श्रोता और दर्शक बने भक्तों ने भी सखियों और ग्वालों की प्रतिस्पर्धा का जमकर आनंद उठाया। कोई भी इस दुर्लभ दृश्य का एक पल भी गंवाना नहीं चाहता था। करीब साढ़े तीन घंटे बाद संकेत मिलते ही होरी के रसिया के जयघोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इसके बाद सखियों को राजभोग कराया गया। इसके बाद ग्वालों ने सखियों का निमंत्रण स्वीकार कर बरसाने आकर होली खेलने का आश्वासन दिया। आश्वासन के बाद गोपियां बरसाना के लिए वापस चली गईं।