कहते हैं किसी नेता को नीचा दिखाना हो तो उसे मंच पर बिठाओ, लेकिन भाषण का मौका मत दो। कुछ इसी तरह का बर्ताव समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष बीर सिंह यादव के साथ गेझा गांव में हुआ। महागठबंधन प्रत्याशी के रवैये से अब समाजवादी पार्टी के नेता अपने को अपमानित महसूस कर रहे हैं। हालांकि वे सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन अपने जिलाध्यक्ष के अपमान से कार्यकर्ता काफी कुपित हैं।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर मतदान में अब ज्यादा वक्त शेष नहीं है। 11 अप्रैल को मतदान होना है। इसलिए प्रत्याशी सुबह से देर शाम तक अपने प्रचार के लिए भटक रहे हैं। उनकी कोशिश है कि वे हर दरवाजे पर दस्तक दें। लेकिन, यह संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए प्रत्याशी नुक्कड़ सभा, जनसभा और पंचायतों का सहारा ले रहे हैं। रविवार को गठबंधन प्रत्याशी सतबीर नागर के समर्थन में गेझा गांव में एक जनसभा का आयोजन किया गया था। उसमें सैकड़ों की संख्या में लोग जुटे थे। जनसभा में सपा बसपा और रालोद के कार्यकताओं ने भी शिरकत की थी।
मंच पर तीनों ही पार्टियों के नेता विराजमान थे। उनमें समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष बीर सिंह यादव भी मौजूद थे। उन्हें भी मंच के अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया गया था। प्रत्याशी के आने में लगभग 3 घंटे के विलंब के कारण तमाम नेताओं को अपनी बात रखने के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया। लोग आए और भाषण देकर बैठ गए। उस मंच से सपा के प्रदेश महासचिव देवेंद्र सिंह अवाना को भी बोलने का मौका दिया गया। सपा के एक नेता और पूर्व प्रत्याशी ने भी भाषण दिया। यहां तक कि झुग्गी बस्ती में रहने वाले एक मुस्लिम नेता के भी हाथ में माइक दिया गया। वह नेता कभी जिलाध्यक्ष बीर सिंह यादव का समर्थक और करीबियों में गिना जाता था। लेकिन, हद तो तब हो गई, जब समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष बीर सिंह यादव को ही मंच से भाषण देने का मौका नहीं दिया गया।
उस समय तो प्रत्याशी के संक्षिप्त भाषण के बाद सभा समाप्त हो गई। लेकिन, तुरंत बाद ही पार्टी कार्यकर्ताओं में कानाफूसी शुरू हो गई। सपा के कार्यकर्ता इस बात से नाराज दिखे कि उनके जिलाध्यक्ष को ही मंच से बोलने का मौका नहीं दिया गया। जबकि वे मौजूदा समय में जिला संगठन के सबसे बड़े और वरिष्ठ नेता हैं। बीर सिंह यादव की उपेक्षा को पार्टी कार्यकर्ता अपमान के तौर पर ले रहे हैं। उनका कहना है कि गुर्जर बिरादरी की एकता की बात करने वाले गठबंधन प्रत्याशी सतबीर नागर और उनके समर्थकों ने जान-बूझकर बीर सिंह यादव की अनदेखी की। हालांकि किसी कार्यकर्ता ने खुले तौर पर कुछ भी नहीं कहा, लेकिन उनकी मुद्रा इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि उनके साथ जो हुआ, गलत था। वे इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।